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Tuesday, February 8, 2011

Allah-Hoo!


तू अनंत, तू अभेद
तू आकार , तू निराकार 
तू रंग , तू रूप
तू रूप , तू वेश 
तू धूप, तू छाँव,
तू नगर-नगर, तू गाँव-गाँव
तू अपना, तू बेगाना
तेरा न कोई ठिकाना
तू समझ, तू नादान
तू लफ्ज़, तू अंदाज़
तू ही गीत , तू  ही साज़
प्यार भी तू, जुदाई भी तू,
हर वक़्त दिल में ठहरी 
एक तन्हाई भी तू
तू सुकून , तू जूनून,
तू इकरार, तू इंकार
फिर भी तू बस प्यार ही प्यार|
तू धरती , तू आकाश,
तू रुदन तू विलाप,
तू जुदाई, तू मिलाप 
तू आंसू , तू हंसी,
तू रुखसत, तू मिलन,
तू खेत , तू खलिहान,
तू मवेशी, तू इंसान,
तू पानी, तू आग,
तू काला, तू पाक-पाक
तू हक , तू चोरी,
तू हिम्मत , तू हार,
तू मात, तू ही चाल,
तू ही राह, तू ही पाथिक
तू दूर , तू पास 
तू सूरज, तू चाँद
तू प्रार्थना, तू प्रसाद
तू पत्थर, तू कंकर,
तू हास्य, तू विलाप,
तू दरख़्त , तू फूल
कहीं हवा तो कहीं समय की धूल|
तू पौधा , तू वन 
तू हरियाली, तू रेगिस्तान
तू रुष्ट , तू मेहरबान
तू निहाल, तू कुर्बान,
तू अमिट, तू निशान
तू लहर, तू समुन्दर,
तू दुःख, तू सुख में,
तू सुन्दर, तू कुरूप
तू हुस्न, तू इश्क
तू चिराग, तू आतिश
तू दरिया , तू लहर,
तू ढंग , तू बेढंग
तू हंसमुख , तू उदास,
तू शरीफ, तू बदमाश,
तू चोर, तू सिपाही
तू बादशाह , तू भिखारी,
तू एक , तू अनंत
तेरे कितने कितने रंग |
हर पल, हर दिशा,
हर जगह , सब जगह,
कण कण में बस तू ही तू|
बस तू इतना रहम कर
अपने इस तराने में मुझे भी साज़ बना ले
और तरन्नुम के साथ मुझे भी उठा ले|
मैं भी वो वक़्त का एक गीत बन जाऊं 
जिसे तुने गया ये समझ पाऊँ|
बस यही है मेरी दुआ और यही है मेरी आरज़ू ,
यही कल थी, यही आज है,
और यही कल होगी हू-बहू |
अल्लाह-हू, अल्लाह-हू
अल्लाह हू|

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